नीली-नीली सी एक सुबह ..
सब कुछ नीला नीला है..
बादल नीले ,पंछी नीले
अम्बर नीला, फूल नीले
नीला सा एक हवा का झोंका
मेरे कानों में कुछ कहता है
ओ रे मन बावले तू काहे घबराता है
हर रात के बाद एक सवेरा फिर से आता है । ।
माना के तू थक चूका है
वक़्त के थपेड़ो से पस्त हुआ है
लेकिन तेरे होंसलो का इम्तिहान अभी बाकि है
तेरे तरकश में तीर अब भी बाकि है
उठा धनुष और तीर चला
युद्ध लड़ के अपना मान बढ़ा
डर न तू, रुक न तू
हर ज़र्रा तुझसे ये कहता है
ओ रे मन बावले तू काहे घबराता है
हर रात के बाद एक सवेरा फिर से आता है । ।
चाहे कितना भी हो बोझ धरती उसे उठाती है
चाहे कोई भी मौसम हो कोयल हमेशा गाती है
हर लहर समंदर में गिरती है फिर उठती है
यही जीवन है गिरना और उठना तो इसकी रीति है
जो गिर के गिर गया वो तो गिर ही जाता है
जो गिर के फिर उठे वही सिकंदर कहलाता है
ओ रे मन बावले तू काहे घबराता है
हर रात के बाद एक सवेरा फिर से आता है । ।
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